श्री रावतपुरा सरकार संस्थान, आरी झांसी (उ.प्र.) में हर्षोल्लास से मनाया गया ७५वां स्वतंत्रता दिवस

17-08-21 siteadmin 0 comment

दिल हमारे एक है, एक ही हमारी जान
हिंदुस्तान हामारा है, हम है, इसकी शान
जान लुटा देगें वतन पे हो जायेगें कुर्वान
इसलिये हम कहते है मेरा भारत महान।
आज झाँसी जो कि क्रांतिकारियों की तपोस्थली, कर्मभूमि कही जाती है, ग्राम आरी में श्री रावतपुरा होप फाउण्डेशन के तत्वाधान में अनंत विभूषित संत शिरोमणि परम् पूज्य गुरूदेव ’’रविशंकर जी महाराज’’ (रावतपुरा सरकार) के आशीष से श्री रावतपुरा सरकार ग्रुप ऑफ इन्स्ट्ीटयूशन्स आरी में देश का 75वां गौरवमयी स्वतंत्रता दिवस का आयोजन प्रबंधक सतेन्द्र जी के निर्देशन में किया गया, झण्ड़रोहण उ0प्र0 सरकार राज्यमंत्री तथा अन्तर्राष्ट्रीय बोध संस्थान के उपाध्यक्ष श्री हरगोविंद कुशवाहा जी, ग्राम आरी, पूर्व प्रधान शत्रुघन सिंह तोमर तथा वर्तमान ग्राम प्रधान आरी राघवेन्द्र तोमर जी के द्वारा किया गया, संस्थान की अस्मिता में चार चाँद लगाने वाले स्टॉफ, छात्र-छात्राओं तथा अतिथियों द्वारा राष्ट्रगान का गायन कर राष्ट्रध्वज के प्रति सम्मान प्रकट किया गया कार्यक्रम में मुख्य अतिथि श्री हरगोविंद कुशवाहा जी ने अपने उद्वोधन की शुरूआत-

’’अयं निजः परोवेति गणना लघुचेतसाम।
या उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्वकम’’  

से की गयी श्री हरगोविंद जी जिनकी भाषा पर अद्वितीय पकड़ तथा कुशल वक्ता है स्वयं को धन्य मानकर कहा कि परमपूज्य संत शिरोमणि श्री रविशंकर जी महाराज (रावतपुरा सरकार) जी के पावन संस्थान में आने का सौभाग्य प्राप्त हुआ उन्होनें राष्ट्र के उन समस्त क्रांतिकारियों को याद करते हुये उनके प्रति सम्मान प्रकट किया जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से आजादी का स्वप्न तथा देश-प्रेम की भावना को स्वयं में निहित किये हुये थे, श्री हरगोविंद जी ने बुंदेली इतिहास तथा बुंदेलखण्ड़ की पावन धरा का गुणगान त्रेता काल में श्री राम जी, द्वापर में श्री कृष्ण जी, सल्तनत काल में कालिजर, चंदेरी की महिमा, चम्पतराय पुत्र महाराज छत्रसााल से होते हुये सन् 1857 की चमकती हुयी तलवार जो नयी ऊर्जा, शौर्य, तेज की प्रेरणा स्त्रोत रानी लक्ष्मीबाई को याद करते हुये तथा उनके उस स्वर्णिम इतिहास तथा आजादी की गाथा का वर्णन किया उन्होनें कहा कि यह वर्णन कुछ मिनटों में नहीं किया जा सकता परंतु इस आजादी के यश को संक्षिप्त में वर्णित करते हुये इस दिन की महत्ता को लोगों के समक्ष रखा, अपने शब्दों तथा भाषण का समापन श्री कुशवाहा जी ने वात्सल्यमयी मात्भूमि को प्रणाम करते हुये सभी उपस्थित श्रोतागण को एक बार फिर से स्वंतत्रता दिवस की अनंत शुभकामनायें देकर की।
तत्पश्चात् एस0बी0आई0 आलमपुर में कार्यरत् संस्थान से आत्मिक लगाव रखने वाले श्री विनय शर्मा जी ने भी स्वंतत्रता दिवस की शुभकामनाओं के साथ देश में अंग्रेजी अत्याचार तथा उस अत्याचार का मुक्ति पथ का वर्णन किया।
कार्यक्रम में डी0एल0एड0 छात्रा आयुषी व्यास, अंचल श्रीवास्तव का देशभक्ति पर सोलो नृत्य तथा बी0फॉर्मा के छात्र अमरजीत, अरूण तथा वृजभूषण ने गायन शैली द्वारा लोगों का मन मोह लिया। इस पावन अवसर पर इंस्टीट्यूट के समस्त प्राचार्य ,विभाग प्रभारी तथा स्टाफ सक्रिय रूप से उपस्थित रहा संस्थान प्रबंधक श्री सतेन्द्र जी ने उद्वोधन स्वरूप इस पावन धरा को नमन करते हुये कहा- ’’जननी जन्मभूमिश्च स्वगदिपि गरीयसी’’ तत्पश्चात् उन्होनें कहा आजादी के उस महायज्ञ जिसमें न जाने कितने अगणित प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष लोगों ने अपने प्राणों की आहुति दी है हमें उस महायज्ञ को स्मृति करते हुये राष्ट्र के प्रति अतुलनीय प्रेम तथा देशवासियों के प्रति प्रेम, सैहार्द, जनमानस की भावना को स्वयं में अन्तर्निहित करना होगा, आभार की श्रंखलां में उन्होनें कहा-’’ श्री रावतपुरा सरकार ग्रुप ऑफ इन्स्टीट्यूशंन्स हृदयतल से झंकृत उद्गार भरे शब्दों से आप समस्त का परस्पर आभार व्यक्त करता हूँ, साथ ही आपने अपना मूल्य समय निकाल कर इतना प्रेम संस्थान के लिये दिया साथ ही आप बगीचे के उस फूल की तरह है जो अपनी महक और ताजगी से पूरे बगीचे को महकाता है, आप इसी तरह संस्थान को अपनी सुगंध द्वारा महकाते रहें इसी के साथ दिल से आपका बहुत आभार प्रकट करता हूँ।
जयहिंद।



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