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श्री रावतपुरा सरकार संस्थान आरी झांसी में भगवान विश्वकर्मा की पूजा

आज श्री रावतपुरा सरकार संस्थान आरी झांसी में अनंत विभूषित संत शिरोमणि परम पूज्य श्री रविशंकर जी महाराज जी के  आशीर्वाद तथा उपाध्यक्ष श्री जे के उपाध्याय जी के सानिध्य में संस्थान प्रबंधक जी की उपस्थिति में आज विश्व के सबसे प्रथम  वास्तुकार भगवान विश्वकर्मा की पूजा का आयोजन विधि विधान के साथ मंत्रोच्चारण से  किया गया
पूजन करते हुए संस्थान प्रबंधक तथा आईटीआई प्राचार्य जी ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि विश्वकर्मा जयंती को प्रतिवर्ष सितम्बर के महीने में उल्लास के साथ मनाया जाता है। यह दिन लगभग पुरे भारत में विधि के अनुसार मनाया जाता है।
    इस दिन सबसे बड़े वास्तुकार भगवान विश्वकर्मा की पूजा की जाती है। इतिहास के अनुसार भगवान विश्वकर्मा को देवशिल्पी यानी की देवताओं के वास्तुकार के रूप में पूजा जाता है। त्रिलोका या त्रिपक्षीय उन्हें त्रिलोका या त्रिपक्षीय युग का भी निर्माता माना जाता है।
साथ ही विश्वकर्मा जी में अपने शक्ति से  देवताओं के उड़ान रथ, महल और हथियार का भी निर्माण किया था। यहाँ तक की यह भी माना जाता है की इंद्र का महा अस्त्र जो ऋषि दधिची के हड्डियों से बना हुआ था वह भी विश्वकर्मा भगवान द्वारा ही बनाया गया था।
न सिर्फ स्वर्ग बल्कि उन्हें इस पुरे सृष्टि का निर्माता माना जाता है। उन्होंने सत्य युग में सोने की लंका जहाँ असुर राज रावण रहा करता था, त्रेता युग में द्वारका शहर, जहाँ श्री कृष्ण थे, द्वापर युग में हस्तिनापुर शहर का निर्माण जो पांडवों और कौरवों का राज्य था सभी का निर्माता उनको माना जाता है।
भगवान विश्वकर्मा जी के चित्र पर पुष्प अर्पित करते हुए समस्त स्टाफ ने आशीष प्राप्ति की कामना की
इस अवसर पर शिक्षा संकाय,  फार्मेसी संकाय, आईटीआई संकाय के शैक्षणिक स्टाफ तथा छात्र  छात्राएं उपस्थित रहे।

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